महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था

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निजी और सार्वजनिक उद्यमों के माध्यम से महाराष्ट्र भारत का एक सुविकसित और समृद्ध राज्य बन गया है। विद्युत उत्पादन इस दिशा में सबसे महत्त्वपूर्ण सहायक कारकों में से एक है। महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट स्थित जलप्रपातों के ज़रिये पनबिजली उत्पादन किया जाता है। पूर्वी क्षेत्रों में ताप- विद्युत उत्पादन की प्रधानता है। नागपुर और चंद्रपुर में बड़े ताप विद्युत गृह स्थित हैं। भारत का पहला परमाणु बिजली संयंत्र मुंबई से 113 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। बिजली की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए नए विद्युत संयंत्र लगाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र के खनिज संसाधनों में मैंगनीज, कोयला, चूना- पत्थर, लौह अयस्क, तांबा, बॉक्साइट और सिलिकायुक्त रेत शामिल है। इनमें से अधिकांश खनिज पदार्थ, भंडारा, नागपुर और चंद्रपुर ज़िलों में पाए जाते हैं और दक्षिण कोंकण में भी कुछ भंडार हैं। सह्याद्रि क्षेत्र के कई हिस्सों में बॉक्साइट भी पाया जाता है। बॉम्बे हाई में हाइड्रोकार्बन का उत्पादन भी बढ़ रहा है।

कृषि

महाराष्ट्र के दो- तिहाई निवासी कृषक हैं। फ़सल उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए विद्युतीकरण, उन्नत बीजों का उपयोग, व्यापक खेती और किसानों को सुविधा प्रदान करने जैसे उपाय किए जा रहे हैं। अपर्याप्त तथा असमान वर्षा से निपटने के लिए कई सिंचाई परियोजनाएं बनाई गई हैं और कई परियोजनाएं निर्माणधीन हैं। फ़सलों में बाजरा, ज्वार और दलहन प्रमुख है। 1,016 मिलीमीटर से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की खेती होती है। नमी धारण करने की क्षमता वाले खेतों में शीत ऋतु में गेहूँ की फ़सल उगाई जाती है। 610-990 मिलीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों में कपास, तंबाकू और मूंगफली प्रमुख फ़सलें हैं। आजकल बाग़वानी पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। फलों की खेती में अंगूर, आम, केला और काजू ज़्यादा लोकप्रिय हैं। सिंचाई की सुविधा ने महाराष्ट्र भारत का सबसे बड़ा गन्ना और चीनी उत्पादक क्षेत्र बना दिया गया है। चीनी ने कृषि- औद्योगिक क्षेत्रों को बढ़ावा दिया है।

उद्योग

मिट्टी अपरदन तथा कृषि उत्पादों के भंडारण, परिवहन और विपणन की समस्याओं के मामले में उल्लेखनीय सफलता मिली है। समुद्री मछली पकड़ने में महाराष्ट्र का स्थान केरल के बाद आता है। यहाँ के सबसे पुराने निर्माण कारख़ाने सूती वस्त्रों की मिलें है। हालांकि कुछ बीमार इकाइयाँ हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश मुंबई और नागपुर के विशालतम आधुनिक उद्योगों का हिस्सा हैं। मुंबई-पुणे उद्योग क्षेत्र में इस राज्य के सबसे अधिक भारी और उच्च प्रौद्योगिकी वाले उद्योग केंद्रित हैं। 1976 में मुंबई के पास समुद्र में भारत के पहले समुद्री तेल कुएँ की स्थापना से पेट्रो रसायन उद्योग का भी काफ़ी तेज़ी से विकास हुआ है। तेल परिष्करण और कृषि उपकरण, परिवहन उपकरण, रबड़ उत्पाद, बिजली व तेल के पंप, ख़राद, कंप्रेसर, चीनी मिल की मशीनरी, टाइपराइटर, रेफ़्रिजरेटर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, टेलीविजन और रेडियो सेट जैसी वस्तुओं का उत्पादन महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है। यहाँ वाहन निर्माण उद्योग आरंभिक अवस्था में है। बंबई भारत के फ़िल्म उद्योग का राष्ट्रीय केंद्र है। पावरलूम से वस्त्रोत्पादन के लिए इचलकरंजी और मालेगांव प्रसिद्ध हैं। मुंबई, नागपुर, अकोला, अमरावती और सोलापुर में विभिन्न प्रकार के औद्योगिक उत्पादनों का तेज़ी से विकास हो रहा है। पारंपरिक कृषि उद्योग केंद्रों में जलगाँव, धुले, कोल्हापुर, सांगली और मिराज शामिल हैं। नागपुर, भुसावल, महाबलेश्वर, रत्नागिरि और मुंबई में फलों को डिब्बाबंद करने का उद्योग आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। यहाँ के वनोत्पादों में इमारती लकड़ी, बांस, चंदन और तेंदू पत्ते (बीड़ी बनाने के काम आने वाले) शामिल हैं। बेकरी को भी महत्त्व मिल रहा है।

परिवहन

परिवहन प्रणालियों में सबसे पहला स्थान मुंबई में केंद्रित रेल नेटवर्क का है। मुंबई और अरब सागर के तटीय मैदान के शहरों को जोड़ने वाले कोंकण रेलवे ने इसे मज़बूती प्रदान की है। रेलमार्गों पर वर्धा और नागपुर महत्त्वपूर्ण जंक्शन हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश में प्रत्येक गांव को किसी प्रमुख सड़क के 8 किलोमीटर के दायरे में पहुँचा दिया है। राज्य के राजमार्गों के बीच छुटे हुए हिस्सों को पूरा कर लिया गया है तथा दुर्गम क्षेत्रों में ज़िला सड़कों का विकास कर लिया गया है। पाँच राष्ट्रीय राजमार्ग इस राज्य को दिल्ली, इलाहाबाद, कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता), हैदराबाद और बंगलोर से जोड़ते हैं। इन राजमार्गों और अन्य सड़कों पर ट्रक परिवहन में भारी वृद्धि हुई है। राज्य परिवहन की बसों और निजी उद्यमियों द्वारा संचालित विशेष बसों के माध्यम से सवारियों के यातायात में भी वृद्धि हुई है। मुंबई दैनिक हवाई सेवा द्वारा पुणे, औरंगाबाद, नागपुर और नासिक और भारत के सभी महानगरों से जुड़ा हुआ है। मुंबई में स्थित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा इस नगर को उत्तरी अमेरिका, यूरोप, दक्षिण- पूर्व व दक्षिण एशिया, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख नगरों से जोड़ता है। अंतर्देशीय जल- परिवहन की भूमिका गौण है। कोंकण तट के बंदरगाहों पर ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है।

मुम्बई की अर्थव्यवस्था

मुम्बई भारत की आर्थिक धुरी एवं वाणिज्यिक व वित्तीय केन्द्र है। कुछ मायनों में इसकी आर्थिक संरचना भारत में नाभिकीय और पुरातन कालों के संयोजन को प्रदर्शित करती है। इस नगर में भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग स्थित है, जिसमें परमाणु रिऐक्टर और प्लूटोनियम विलग्नक स्थित है। नगर के कई हिस्सों में अब भी ईधन और ऊर्जा के पारम्परिक जैविक साधनों का इस्तेमाल होता है।


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