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बीकानेर पर्यटन

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ऊँटों का प्रसिद्ध मेला, बीकानेर

राजस्थान के मरूस्थल की गोद में बसा बीकानेर अपने ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्त्व के साथ-साथ भौगोलिक विशिष्टता के लिए विख्यात है। लाल पत्थर के भव्य प्रासाद, हवेलियाँ, कोलायत, गजनेर के रमणीक स्थल, राज्य अभिलेख़ागार, म्यूजियम, अनुपम संस्कृत पुस्तकालय व टेस्सीतोरी कर्मस्थली होने के कारण यह ज़िला ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि से अपना विशिष्ट स्थान रखता है। बीकानेर में मुतात्विक दृष्टि से बीका-की-टेकरी का भव्य क़िला (पुराना क़िला), संग्रहालय, लक्ष्मीनारायण मंदिर, भांडासर मंदिर, नागणेची जी का मंदिर, देवकुण्डसागर में प्राचीन शासकों की छतरियाँ, शिवबाडी मंदिर और लालगढ़ महल महत्त्वपूर्ण हैं। शहर से मात्र 32 किलोमीटर दूर स्थित गजनेर भव्य महलों की सुन्दरता और प्रवासी पक्षियों के लिये प्रसिद्ध है। देशनोक स्थित करणीमाता का मंदिर देवी और चूहों के लिये प्रसिद्ध है। राजस्थान के उतर-पश्चिम में बसा बीकानेर 27244 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। बीकानेर ऊँटों के लिए प्रसिद्ध है।

ऊँटों के लिए प्रसिद्ध

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अनन्त समय से आकर्षित करता आ रहा बीकानेर एक शाही सुदृढ़ शहर है। रेगिस्तान राज्य के उत्तर में स्थित इस शहर के आसपास हालू के टीले हैं। बीकानेर का ऊँट दल रियासत काल के दौरान प्रसिद्ध युद्धकारी सेना थी अभी भी सीमा सुरक्षा बल के द्वारा वह युद्ध एवं रक्षा का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। बीकानेर में अभी तक मध्ययुगीन भव्यता है जो शहर की जीवन शैली में व्यापक रूप से दिखती है। ऊँटों के देश के नाम से प्रसिद्ध, यह शहर विश्व में बेहतर ऊँटों की सवारी के लिए विख्यात है। रेगिस्तान का जहाज, जीवन का एक अविभाज्य अंग है। चाहे भरी गाड़ी खींचनी है, अनाज ले जाना हो या कुओं पर काम करना है, ऊँट मुख्य सहायक है।

मुख्य स्थल

राजस्थान अभिलेखागार

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'राजस्थान राज्य अभिलेखागार' बीकानेर के पर्यटन स्थलों में से एक है। यह देश के सबसे अच्‍छे और विश्‍व के चर्चित अभिलेखागारों में गिना जाता है। बीकानेर स्थित इस अभिलेखागार में आधुनिक पत्रावली के साथ-साथ मुग़ल काल और मध्य काल के अभिलेख, फ़रमान निशान, मंसूर, पट्टा, परवाना, रुक्का, बहियात, अर्जिया, खरीता, पानड़ी, तोजी दी वरकी, चौपनिया, पंचांग खरीता भी उपलब्ध हैं। इनमें फ़ारसी, उर्दूअंग्रेज़ी सहित भाषा के विभिन्न रूप ढूँढाड़ी, मेवाड़ी, मारवाड़ी, हाड़ौती के अभिलेख उपलब्ध हैं।

अन्य स्थल

  • भांडासार जैन मंदिर पाँचवें तीर्थंकर सुमतिनाथ जी का 15वीं सदी का आकर्षण मंदिर है।
  • ऊँट शोध केंद्र ऊँट शोध एवं प्रजनन केन्द्र में रेगिस्तान के जहाज़ के साथ कुछ समय बिताऐं। यह एशिया में अपनी तरह का एक ही केन्द्र है।
  • गजनेर वन्य प्राणी अभयारण्य जैसलमेर मार्ग पर हरा-भरा जंगल, नीलगाय, चिंकारा, काले मृग, जंगली सूअर व शाही रेतीली तीतरों के झुंड के लिए यह एक स्वर्ग है। गजनेर महल, राजाओं की मानसून के समय की आरामगाह, झील के तट पर स्थित है और इसे हैरिटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है।
  • शिव बाड़ी मंदिर उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द में ड़ूंगर सिंह जी द्वारा निर्मित यह मंदिर एक टूटी-फूटी दीवार से घिरा है। इसमें सुन्दर चित्र हैं और एक पीपल का नन्दी, शिव लिंग की ओर देखता हुआ स्थित है।
  • कोलायतजी कफिल मुनि का प्रसिद्ध तीर्थस्थल जिसमें एक मंदिर भी है। कार्तिक (अक्तूबर - नवम्बर) के महीने में लगने वाले वार्षिक मेले में लाखों श्रद्धालु पूर्णमासी के दिन कोलयता की झील में डुबकी लगाने के लिए एकत्रित होते हैं।
  • कालीबंगा हनुमानगढ़ ज़िले में इस स्थान में पूर्व हड़प्पा युग व हड़प्पा सभ्यता के व्यापक अवशेष पाये गये हैं जो कि पुरातत्त्ववेत्ताओं के लिए अत्यधिक रुचि की चीज़ें हैं। यहाँ संग्रहालय भी बना है।

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