फ्री स्टाइल कुश्ती

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फ्री स्टाइल कुश्ती
फ्री स्टाइल कुश्ती
विवरण 'फ्री स्टाइल कुश्ती' गद्दों पर लड़ी जाती है। इस कुश्ती पद्धति में कमर के नीचे का भाग पकड़ना वर्जित है।
शुरुआत 1920
सदस्य दो (2)
उपकरण गद्दा
स्थल बड़ा मैदान
अन्य जानकारी फ्री स्टाइल कुश्ती गद्दों पर लड़ी जाती है। जिस गद्दे पर यह कुश्ती होती है, वह कम से कम 6 मीटर लंबा, 6 मीटर चौड़ा और 10 सेंटीमीटर मोटा होता है। गद्दे के ऊपरी भाग पर एक मीटर व्यास का 10 सेंटीमीटर चौड़ा वृत्त होता हे। कुश्ती साधारणत: समान वजन के पहलवानों में होती है, फ्री स्टाइल मल्ल्युद्ध पद्धति में प्रतिद्वंद्वियों को 12 मिनट का समय दिया जाता है, जो चार कालों में विभक्त होता है।

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फ्री स्टाइल कुश्ती (अंग्रेज़ी-Freestyle wrestling) कुश्ती गद्दों पर लड़ी जाती है। इस पद्धति का मल्लयुद्ध 1896 से 1912 तक ओलंपिक के खेलों में होता रहा। 1920 में ऐंटवर्प में जो ओलंपिक खेल आयोजित हुआ, उसमें इस पद्धति के साथ एक नई पद्धति का मल्ल्युद्ध भी सम्मिलित किया गया, जिसे ‘फ्री स्टाइल कुश्ती’ कहते हैं।[1]

इतिहास

विश्व ओलंपिक में ग्रीको-रोमन पद्धति में भी कुश्ती होती है। इस पद्धति में कमर के नीचे का भाग पकड़ना वर्जित है। प्रतिद्वंद्वी एक दूसरे का शरीर केवल खुले हाथ से ही पकड़ सकते हैं। हाथ और बाँह का पकड़ना इस नियम के अपवाद हैं। भौंह तथा मुँह के बीच के भाग को छूना निषिद्ध है। गला दबाना, कपड़े पकड़ना, बाल पकड़ना, पाँव से मारना, धक्का देना या अँगुली मरोड़ना वर्जित है। कैंची लगाकर प्रतिद्वंद्वी को दोनों पावों के बीच दबाना वर्जित है। पाँव का प्रयोग किसी भी रूप में नहीं किया जा सकता, न तो लगाने में और न बचाव करने में। ओलंपिक खेलों में कोई भी दोनों पद्धतियों में निष्णात मल्ल विरले ही होते हैं। अब तक स्वेडन के आइवर जोहांसन और इस्टोनिया के पालू सालू ही ऐसे पहलवान हैं जिन्हें क्रमश: लास ऐंजिल्स[2] और बर्लिन[3] के ओलंपिक खेलों में दोनों पद्धतियों में एक साथ विश्व विजयी होने का गौरव प्राप्त हुआ है।

पद्धति

फ्री स्टाइल कुश्ती गद्दों पर लड़ी जाती है। जिस गद्दे पर यह कुश्ती होती है, वह कम से कम 6 मीटर लंबा, 6 मीटर चौड़ा और 10 सेंटीमीटर मोटा होता है। गद्दे के ऊपरी भाग पर एक मीटर व्यास का 10 सेंटीमीटर चौड़ा वृत्त होता है। कुश्ती साधारणत: समान वजन के पहलवानों में होती है, फ्री स्टाइल मल्ल्युद्ध पद्धति में प्रतिद्वंद्वियों को 12 मिनट का समय दिया जाता है, जो चार कालों में विभक्त होता है। प्रथम 6 मिनट तक भूमि की कुश्ती होती है, तदनंतर 4 मिनट तक भूमि की कुश्ती होती हैं, जिससे प्रत्येक प्रतिद्वंद्वी को बारी-बारी से दो-दो मिनट के लिये नीचे बैठाया जाता है और दूसरा उसे ऊपर से पकड़ता है। अंतिम 2 मिनट पुन: खड़ी कुश्ती होती है। सीटी बजते ही कुश्ती प्रारंभ हो जाती हैं। 6 मिनट की कुश्ती के बाद निर्णायक अपने अंकों को देखकर बताते हैं कि लाल जीत रहा है या हरा। विजयी को उस समय तक अपने प्रतिद्वंद्वी से कम-से-कम तीन अंक अधिक प्राप्त होना चाहिए। शेष 6 मिनट में खड़ी या भूमि की कुश्ती होगी, इसका निर्णय विजयी की इच्छा पर निर्भर करता है। भूमि की कुश्ती में कौन पहले नीचे बैठेगा, इसका निर्णय निर्णायक लाल या हरे रंग का बिंब फेंककर करता है।[1]

शास्ति अंक

जो मल्ल प्रतिद्वंद्वी को चित्त कर विजय प्राप्त करता है, उसे शून्य शास्ति अंक[4] मिलता है तथा हारने वाले को चार अंक मिलते हैं। निर्णायक के बहुमत से प्रतिद्वंद्वी का कंधा लगाए बिना विजय पाने वाले को एक तथा हारने वाले को तीन तथा हार जीत का निर्णय न होने पर दोनों को दो-दो शास्ति अंक दिए जाते है। कुश्ती निम्नांकित अवस्था में बराबर मानी जाती है-

  • 12 मिनट लड़ने के बाद भी प्रतिद्वंद्वी मल्लों के कुल प्राप्तांकों में एक से कम का अंतर हो।
  • दोनों के अंक बराबर हों।
  • दोनों में से किसी को भी अंक न मिला हो।

अंतिम निर्णय के नियम

जिन मल्लों के छह या उससे अधिक शास्ति अंक हो जाते है, वे प्रतियोगिता से छँटते जाते हैं। प्रतियोगिता तब तक चलती रहती है, जब तक छँटकर केवल तीन ही प्रतियोगी मैदान में शेष नहीं रह जाते हैं। स्थान निश्चित करते समय उनके द्वारा पालियों में लड़ी गई आपसी कुश्तियों के फल को ध्यान में रखा जाता है। यदि तीनों मल्लों ने पूर्व की पालियों में परस्पर मल्लयुद्ध नहीं किया है, तो इनकी कुश्ती कराई जाती है और जिसके शास्ति अंक सबसे कम होते हैं, वह विजयी घोषित किया जाता है। यदि दो के शास्ति अंक बराबर हैं, तो उनकी आपसी कुश्ती में जो सबी पड़ता है वह विजयी होता है। यदि संयोग वश तीनों के शास्ति अंक बराबर हो जाते हैं, तो सारी प्रतियोगिता में तीनों में सबसे कम शास्ति अंक पाने वाला विजयी माना जाता हैं। ऐसी दशा में, जब तीनों के शास्ति अंक भी बराबर हों, तब सबसे कम भार वाला मल्ल विजयी घोषित किया जाता है।[1]

वर्जित तथ्य

ओलंपिक फ्री स्टाइल मल्लयुद्ध में निम्नलिखित बातें वर्जित हैं :

  • बाल या जाँघिया पकड़ना
  • अँगुली या अँगूठा मरोड़ना
  • पाँव कुचलना
  • गला दबाना या कोई ऐसा दाँव मारना जिससे साँस रुकने की संभावना हो
  • हथेली ऊपर रखकर धोबी पछाड़ मारना
  • धड़ या सिर पर कैंची लगाना
  • अँगुलियों को फँसाना
  • गुट निकालने के बाद बाँह को पीठ पर 90 से कम करना, या बाँह को बाहर की ओर खींचना।
  • कुहनी या घुटना गड़ाकर प्रतिद्वंद्वी के नाक का बाँसा[5] तोड़ना, आपस में बातचीत करना, इसके अतिरिक्त अंग-भंग-कारक किसी दाँव-पेंच को छुड़ा देने का वैधानिक अधिकार निर्णायक को होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 फ्री स्टाइल कुश्ती (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 12अगस्त, 2015।
  2. (1932 ई.)
  3. (1936 ई.)
  4. Penalty Point
  5. bridge

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