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नैनन पड़ गए फीके -वंदना गुप्ता

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नैनन पड़ गए फीके -वंदना गुप्ता
वंदना गुप्ता
कवि वंदना गुप्ता
मुख्य रचनाएँ 'बदलती सोच के नए अर्थ', 'टूटते सितारों की उड़ान', 'सरस्वती सुमन', 'हृदय तारों का स्पंदन', 'कृष्ण से संवाद' आदि।
विधाएँ कवितायें, आलेख, समीक्षा और कहानियाँ
अन्य जानकारी वंदना जी के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, जैसे- कादम्बिनी, बिंदिया, पाखी, हिंदी चेतना, शब्दांकन, गर्भनाल, उदंती, अट्टहास, आधुनिक साहित्य, नव्या, सिम्पली जयपुर आदि के अलावा विभिन्न ई-पत्रिकाओं में रचनाएँ, कहानियां, आलेख आदि प्रकाशित हो चुके हैं।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
वंदना गुप्ता की रचनाएँ


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सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
रो-रो धार अँसुवन की 
छोड़ गयी कितनी लकीरें
 
आस सूख गयी 
प्यास सूख गयी
सावन - भादों बीते सूखे 
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
 
बिन अँसुवन के 
अँखियाँ बरसतीं 
बिन धागे के 
माला जपती 
हो गए ये हाल  
बिरहा के 
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके  
 
श्याम बिना फिरूँ 
बन के बेगानी
लोग कहें मुझे 
मीरा दीवानी  
कैसे कटें 
दिन बिरहन के
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
 
हार श्याम को
सिंगार श्याम को
राग श्याम को
गीत श्याम को
कर गए
जिय को रीते 
सखी री मेरे

नैनन पड़ गए फीके

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