निज कर क्रिया रहीम कहि -रहीम
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निज कर क्रिया ‘रहीम’ कहि, सिधि भावी के हाथ ।
पाँसा अपने हाथ में, दाँव न अपने हाथ ॥
- अर्थ
कर्म करना तो अपने हाथ में है, पर उसकी सफलता दैव के हाथ में है। देख लो न चौपड़ के खेल में– पांसा अपने हाथ में है, पर दाँव अपने हाथ में नहीं।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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