धूप में औरत -रोहित ठाकुर

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धूप में औरत -रोहित ठाकुर
रोहित ठाकुर
पूरा नाम रोहित ठाकुर
जन्म 6 दिसंबर, 1978
शिक्षा परा-स्नातक (राजनीति विज्ञान)
नागरिकता भारतीय
वृत्ति सिविल सेवा परीक्षा हेतु शिक्षण
सम्पर्क जयंती-प्रकाश बिल्डिंग, काली मंदिर रोड, संजय गांधी नगर, कंकड़बाग, पटना-800020, बिहार
अद्यतन‎
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रोहित ठाकुर की रचनाएँ

धूप सबकी होती है
धूप में खड़ी औरत
बस यही सोचती है
पर उसे तो जीवन - काल में
संतुलन बनाए रखना है
अपनी इच्छाओं और वृहत्तर संसार के बीच
इस लिये औरत धूप में
बिल्कुल सीधी खड़ी होती है
मार्क्स की व्याख्या में
औरत सर्वहारा होती है
इस युग की धूप औरत के लिये नहीं है
पर धूप में खड़ी औरत यह नहीं जानती है
वह तो सीधी खड़ी होकर
किसी और के हिस्से की
धूप को बचाना चाहती है
किसी और के हिस्से की धूप को बचाती औरत
की परछाई दिवार पर सीधी पड़ती है
दिवार पर औरत की सीधी पड़ती परछाई
दूर से घंटाघर की घड़ी की सुई की तरह लगती है
और पास से सारस की गर्दन की तरह
पर धूप में खड़ी औरत यह नहीं जानती है ।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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