तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली अनुवाक-9

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  • अन्न की पैदावार बढ़ायें।
  • पृथ्वी ही अन्न है और अन्न का उत्पादन बढ़ाना ही संकल्प होना चाहिए।
  • आकाश अन्न का आधार है, इसीलिए वह उसका उपभोक्ता है।
  • पृथ्वी में आकाश और आकाश में पृथ्वी स्थित है।
  • इस प्रकार अन्न में ही अन्न अधिष्ठित है।
  • जो साधक इस रहस्य को जान लेता है, वह यश का भागी होता है।
  • उसे समस्त सुख-वैभव सहज ही उपलब्ध हो जाते हैं।


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