तर्क का तूफ़ान

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तर्क का तूफ़ान
'तर्क का तूफ़ान' आवरण पृष्ठ
लेखक यशपाल
मूल शीर्षक तर्क का तूफ़ान
प्रकाशक लोकभारती प्रकाशन
प्रकाशन तिथि 1 जनवरी, 2010
ISBN 9788180312445
देश भारत
पृष्ठ: 158
भाषा हिंदी
विधा कहानी संग्रह
मुखपृष्ठ रचना सजिल्द

यशपाल के लेखकीय सरोकरों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए है, उनकी कहानियों में वह ज्यादा तरल रूप में, ज्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं।

उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द्र के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आती है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन–ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है। [1]

‘तर्क का तूफान’ कहानी संग्रह में उनकी ये कहानियों शमिल हैं -

  • निर्वासिता
  • अपनी करनी
  • तर्क का तूफान
  • मेरी जीत
  • जनसेवक
  • उतरा नशा
  • डायन
  • सोमा का साहस
  • होली नहीं खेलता
  • क़ानून
  • जादू के चावल
  • औरत
  • भाषा
  • परदा
  • राजा
  • तर्क का फल



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तर्क का तूफ़ान (हिंदी) भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 23 दिसम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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