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विवरण (Description) | वायु देव |
स्रोत (Source) | www.columbia.edu |
अन्य विवरण | प्रात:कालीन समीर (वायु) उषा के ऊपर साँस लेकर उसे जगाता है, जैसे प्रेमी अपनी सोयी प्रेयसी को जगाता हो । उषा को जगाने का अर्थ है प्रकाश को निमन्त्रण देना, आकाश तथा पृथ्वी को द्युतिमान करना । इस प्रकार प्रभात होने का कारण वायु है क्योंकि वायु ही उषा को जगाता है। |
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फ़ाइल का इतिहास
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दिनांक/समय | अंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल) | आकार | प्रयोक्ता | टिप्पणी | |
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वर्तमान | 11:23, 20 अप्रैल 2011 | 303 × 389 (18 KB) | ऋचा (चर्चा | योगदान) |
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