गुरदासपुर

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डेरा बाबा नानक, गुरदासपुर

गुरदासपुर नगर पश्चिमोत्तर पंजाब, भारत-पाकिस्तान की सीमा पर अमृतसर-पठानकोट, जम्मू राजमार्ग पर स्थित है तथा मुख्यत: एक प्रशासनिय केंद्र है। पहाड़ों की तराई इलाके तक विस्तृत पूर्वोत्तर भाग को छोड़कर यह ज़िला जलोढ़ मैदान का हिस्सा है।

इतिहास

गुरदासपुर के क़िले में रहते हुए सिक्खों के वीर नेता बंदा बैरागी ने मुग़ल बादशाह फ़र्रुख़सियर की सेनाओं का डटकर सामना किया था। फ़र्रुख़सियर ने बंदा को दबाने के लिए कश्मीर से तूरमानी सूबेदार अब्दुलसमद को भेजा था, जिसने गुरदासपुर के क़िले को नौ मास तक घेर कर रखा। बंदा और उसके वीर साथी क़िले के भीतर से मुग़लों का मुकाबला करते रहे, किंतु रसद समाप्त हो जाने के कारण उन्हें झुक जाने के लिए विवश होना पड़ा। अंत में उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया। बंदा बैरागी को पकड़ कर दिल्ली ले जाया गया, जहाँ इस वीर का पैशाचिक क्रूरता के साथ वध कर दिया गया।

कृषि और खनिज

यहाँ की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार गेहूँ तथा चावल है तथा अन्य फ़सलों में मक्का, गन्ना, तिलहन तथा दलहन शामिल हैं। सामाजिक वानिकी ख़ासतौर से नीलगिरी तथा पॉपलर वृक्ष लगाने का काम प्रगति पर है। औसत वार्षिक वर्षा 1,016 मिमी. होने के कारण गौण फ़सलें उत्तर में बगैर सिंचाई कें भी पैदा हो जाती हैं। ज़िले में खेती के कुल क्षेत्र का 78 प्रतिशत हिस्सा सिंचित (ज़्यादातर नल्कूपों से) है। सारे गाँव सड़कों से जुड़े हैं और अधिकांश घरों में बिजली का उपयोग होता है। गुरदासपुर में पंजाब के ईसाइयों का सबसे बड़ा संकेद्रण है, जिनका लगभग 90, प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में रहता है।

जनसंख्या

2001 की जनगणना के अनुसार गुरदासपुर की कुल जनसंख्या 67,455 है, और ज़िले की कुल जनसंख्या 20,96,889 है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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