गीत विहग -सुमित्रानंदन पंत

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गीत विहग -सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत
कवि सुमित्रानंदन पंत
जन्म 20 मई 1900
जन्म स्थान कौसानी, उत्तराखण्ड, भारत
मृत्यु 28 दिसंबर, 1977
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुमित्रानंदन पंत की रचनाएँ

ये गीत विहग उड़-उड़ जाते !

        भावों के पंख लगे सुन्दर,
        सपनों से रच संसार सुघर,

भरते उड़ान नभ को छूते
मेरे मन भीतर सुख पाते !

        चमकीली रंगभरी आँखें,
        रंगों में डूबी हैं पाँखें,

अपना नन्हा-सा कंठ खोल
मेरे स्वर में स्वर भर गाते !

        खिल गया फूल जब तुम बोले,
        कलियों ने भी घूँघट खोले,

भँवरा मधु पी चुपचाप रहा
तुम स्वर में मधु-रस भर लाते !

        तुम धवल बनो हिम शिखरों-सा
        गंभीर बनो जैसा सागर !

सहते जाओ जैसे अवनी
उड़ चलो परों को फहराते !

        तुम साँस-साँस में गंध भरो,
        जीवन का सब दु:ख शोक हरो,

अमृत बन जाये मरण तभी
जब तुम इन प्राणों में छाते !

        ये गीत विहग उड़-उड़ जाते !

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