गांधीजी के जन्मदिन पर -दुष्यंत कुमार

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गांधीजी के जन्मदिन पर -दुष्यंत कुमार
दुष्यंत कुमार
कवि दुष्यंत कुमार
जन्म 1 सितम्बर, 1933
जन्म स्थान बिजनौर, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 30 दिसम्बर, 1975
मुख्य रचनाएँ अब तो पथ यही है, उसे क्या कहूँ, गीत का जन्म, प्रेरणा के नाम आदि।
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दुष्यंत कुमार की रचनाएँ

मैं फिर जनम लूंगा
फिर मैं
इसी जगह आउंगा
उचटती निगाहों की भीड़ में
अभावों के बीच
लोगों की क्षत-विक्षत पीठ सहलाऊँगा
लँगड़ाकर चलते हुए पावों को
कंधा दूँगा
गिरी हुई पद-मर्दित पराजित विवशता को
बाँहों में उठाऊँगा।

        इस समूह में
        इन अनगिनत अचीन्ही आवाज़ों में
        कैसा दर्द है
        कोई नहीं सुनता!
        पर इन आवाजों को
        और इन कराहों को
        दुनिया सुने मैं ये चाहूँगा।

मेरी तो आदत है
रोशनी जहाँ भी हो
उसे खोज लाऊँगा
कातरता, चु्प्पी या चीखें,
या हारे हुओं की खीज
जहाँ भी मिलेगी
उन्हें प्यार के सितार पर बजाऊँगा।

        जीवन ने कई बार उकसाकर
        मुझे अनुलंघ्य सागरों में फेंका है
        अगन-भट्ठियों में झोंका है,
        मैने वहाँ भी
        ज्योति की मशाल प्राप्त करने के यत्न किये
        बचने के नहीं,
        तो क्या इन टटकी बंदूकों से डर जाऊँगा?
        तुम मुझकों दोषी ठहराओ
        मैने तुम्हारे सुनसान का गला घोंटा है
        पर मैं गाऊँगा
        चाहे इस प्रार्थना सभा में
        तुम सब मुझपर गोलियाँ चलाओ
        मैं मर जाऊँगा
        लेकिन मैं कल फिर जनम लूँगा
        कल फिर आऊँगा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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