खरच बढ्यो उद्यम घट्यो -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

खरच बढ्यो उद्यम घट्यो, नृपति निठुर मन कीन।
कहु ‘रहीम’ कैसे जिए, थोरे जल की मीन॥

अर्थ

राजा भी निठुर बन गया, जबकि खर्च बेहद बढ़ गया और उद्यम में कमी आ गयी। ऐसी दशा में जीना दूभर हो जाता है, जैसे जरा से जल में मछली का जीना।


पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख