क्या है कोई जवाब तुम्हारे पास -वंदना गुप्ता

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क्या है कोई जवाब तुम्हारे पास -वंदना गुप्ता
वंदना गुप्ता
कवि वंदना गुप्ता
मुख्य रचनाएँ 'बदलती सोच के नए अर्थ', 'टूटते सितारों की उड़ान', 'सरस्वती सुमन', 'हृदय तारों का स्पंदन', 'कृष्ण से संवाद' आदि।
विधाएँ कवितायें, आलेख, समीक्षा और कहानियाँ
अन्य जानकारी वंदना जी के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, जैसे- कादम्बिनी, बिंदिया, पाखी, हिंदी चेतना, शब्दांकन, गर्भनाल, उदंती, अट्टहास, आधुनिक साहित्य, नव्या, सिम्पली जयपुर आदि के अलावा विभिन्न ई-पत्रिकाओं में रचनाएँ, कहानियां, आलेख आदि प्रकाशित हो चुके हैं।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
वंदना गुप्ता की रचनाएँ
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ओ कृष्ण 
नहीं मालूम तुझसे 
खुश हूँ नाराज या तटस्थ 
बस कहीं न कहीं 
अन्दर ही अन्दर हो गयी हूँ घायल मैं 
 
और तुम जानते हो वजह 
बेवजह कुछ नहीं होता 
सुना था कभी 
मगर वजह भी नहीं समझ आई 
 
या तो मिलते ही नहीं 
मिले तो बिछड़ते नहीं 
ये आँख मिचौली खेलने को 
तुमने मुझे ही क्यूँ चुना 
कभी समझ न पायी मैं 
 
तुम्हारे होने और न होने के चक्रव्यूह में घिरी मैं 
तुम्हें ही कटघरे में खड़ा करती हूँ 
सुना है 
तुम्हारे पास हर प्रश्न का उत्तर होता है 
तो देना जवाब यदि हो सके तो 
 
क्योंकि 
इस बार बात तुम्हारे अस्तित्व की है 
और मेरे द्वारा तुम्हें 
स्वीकारने और अस्वीकारने की 
कोरे भ्रम भर तो नहीं हो न तुम ?
 
होती होंगी तुम्हारी लीलाएं विलक्षण 
मगर यहाँ जो प्रेम रस की बहती 
अजस्र धारा सूख गयी है 
और रेत रह रह शूल सी सीने में चुभ रही है 
वहां मैं एक अंतहीन प्यास में तब्दील हो गयी हूँ 
कैसे करोगे साबित और भरोगे रीता घट 
 
और सुनो 
तुम्हारे रूप के सिवा दूजा रूप कोई निगाह में चढ़ता नहीं अब 
ऐसे में कैसे काजल की धार बन समाओगे फिर से नैनन में 
 
और सुनो 
ये तटस्थता आत्मबोध का पर्याय नहीं है 
 
बंजर जमीन को उपजाऊँ बनाने हेतु क्या है कोई जवाब तुम्हारे पास ?

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