क्या चाहते हैं? -वंदना गुप्ता

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क्या चाहते हैं? -वंदना गुप्ता
वंदना गुप्ता
कवि वंदना गुप्ता
मुख्य रचनाएँ 'बदलती सोच के नए अर्थ', 'टूटते सितारों की उड़ान', 'सरस्वती सुमन', 'हृदय तारों का स्पंदन', 'कृष्ण से संवाद' आदि।
विधाएँ कवितायें, आलेख, समीक्षा और कहानियाँ
अन्य जानकारी वंदना जी के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, जैसे- कादम्बिनी, बिंदिया, पाखी, हिंदी चेतना, शब्दांकन, गर्भनाल, उदंती, अट्टहास, आधुनिक साहित्य, नव्या, सिम्पली जयपुर आदि के अलावा विभिन्न ई-पत्रिकाओं में रचनाएँ, कहानियां, आलेख आदि प्रकाशित हो चुके हैं।
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वंदना गुप्ता की रचनाएँ


क्या चाहते हैं ? 
क्या होगा यदि पूरी हो जायेगी ?
क्या दूसरी चाहत न जन्म लेगी  ?

बस इसी फेर में गुजरती ज़िन्दगी के सिलसिले 
एक दिन ऊबकर पलायन कर जाते हैं 
और ख़ाली कटोरे सा वजूद 
भांय भांय करता डराता है 

पलायन 
आखिर कब तक ?
और किस किस से ?
यहाँ तो हर क्रिया कलाप पर कर्म का पहरा है 
क्या कर्म से विमुख हुआ जा सकता है ?
क्या कर्तव्य विहीन जीवन तटस्थ होकर जीया जा सकता है ?

तटस्थता 
यानि बुद्ध होना 
या कुछ और ?
अर्ध रात्रि में डराते प्रश्नों के कंकाल 

जबकि पता हैं उत्तर भी 
फिर भी 
प्रश्न हैं कि दस्तक दिए जाते हैं 

कपालभाति कितना ही कर लो 
जीवन योग के अर्थ अक्सर  नकारात्मक ही मिला करते  हैं 

आत्मिक यंत्रणाओं को मापने के अभी नहीं बने हैं यंत्र 
जहाँ मन बैरागी भी है उल्लासी भी 
जहाँ मन विरक्त भी है संपृक्त भी 

अनुलोम विलोम की जाने कौन सी परिभाषा है ज़िन्दगी ?


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