कायरता (सूक्तियाँ)

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क्रमांक सूक्तियाँ सूक्ति कर्ता
(1) कायर तभी धमकी देता है, जब सुरक्षित होता है। गेटे
(2) जो दूसरों की स्वाधीनता छीनते हैं, वास्तव में कायर हैं। अब्राहम लिंकन
(3) कायरता से कहीं ज़्यादा अच्छा है, लड़ते-लड़ते मर जाना। महात्मा गांधी
(4) कुरीति के अधीन होना कायरता है, उसका विरोध करना पुरुषार्थ है। महात्मा गांधी
(5) सौभाग्य वीर से डरता है और सिर्फ भीरु को भयभीत करता है। सेनेका
(6) कायर अपने जीवन काल में ही अनेक बार मरते है, परन्तु वीर पुरुष केवल एक ही बार मरते हैं।
(7) अत्याचार और भय दोनों कायरता के दो पहलू हैं। अज्ञात
(8) घर का मोह कायरता का दूसरा नाम है। अज्ञात
(9) मैं कायरता तो किसी हाल में सहन नहीं कर सकता, आप कायरता से मरें इसकी बजाये बहादुरी से प्रहार करते हुए और प्रहार सहते हुए मैं कहीं बेहतर समझूंगा। महात्मा गाँधी
(10) एक बार लक्ष्य निर्धारित करने के बाद बाधाओं और व्यवधानों के भय से उसे छोड़ देना कायरता है। इस कायरता का कलंक किसी भी सत्पुरुष को नहीं लेना चाहिए।
(11) हिंसा के मुकाबले में लाचारी का भाव आना अहिंसा नहीं कायरता है. अहिंसा को कायरता के साथ नहीं मिलाना चाहिए। महात्मा गाँधी
(12) देश कभी चोर उचक्कों की करतूतों से बरबाद नहीं होता बल्कि शरीफ़ लोगों की कायरता और निकम्मेपन से होता है। शिव खेड़ा
(13) मनुष्य सुख और दु:ख सहने के लिए बनाया गया है, किसी एक से मुंह मोड़ लेना कायरता है। भगवतीचरण वर्मा
(14) लोक-निंदा का भय इसलिए है कि वह हमें बुरे कामों से बचाती है। अगर वह कर्त्तव्य-मार्ग में बाधक है तो उससे डरना कायरता है। प्रेमचंद
(15) कायरता की भांति वीरता भी संक्रामक होती है। प्रेमचंद

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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