उलमा

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उलमा अरबी भाषा का शब्द है जिसे 'उलेमा' भी लिखा जाता है। व्यापक अर्थ में इस्लाम का ज्ञाता, जिसके पास 'इल्म', 'ज्ञान' का गुण है। सैद्धांतिक और व्यावहारिक रूप मे मुस्लिम शास्त्रों में निष्णात उलेमाओं में से ही इस्लामी समुदाय के धार्मिक शिक्षक धर्मविज्ञानी (मुतक़लीमुन), कानूनी वकील (मुफ़्ती,) न्यायाधीश (क़ाज़ी), प्राध्यापक और उच्च मज़हबी राज्य अधिकारी, जैसे शेख अल-इस्लाम आदि आते है। संकुचित अर्थ में उलमा का आशय विद्वानों की परिषद से भी हो सकता है, जो मुस्लिम राज्य में नियुक्तियों का काम देखते हैं।

ऐतिहासिक उल्लेख

ऐतिहासिक रूप से उलमा एक शक्तिशाली वर्ग रहे हैं और शुरुआती इस्लाम में धर्मशास्त्रीय और न्यायिक समस्याओं पर उनकी आम राय (इज्मा) भविष्य की पीढ़ियों के धार्मिक व्यवहार को तय करती थी। समुदाय पर उनका प्रभाव इतना व्यापक था कि मुस्लिम सरकारें हमेशा उनका समर्थन पाने का प्रयास करती थीं; ऑटोमन और मुग़ल साम्राज्यों में उन्होंने कभी-कभी महत्त्वपूर्ण नीतियों को निर्णायक रूप से प्रभावित किया। हालांकि इस्लाम में पुरोहिताई नहीं है और हर मज़हबपरस्त पुरोहितीय काम, जैसे पूजन के दौरान प्रार्थना करवाना, कर सकता है, उलमा ने इस्लामी समाज में पुरोहितों की भूमिका निभाई हैं। इसलिए उन्हें कभी-कभी 'मुस्लिम पुरोहित' कहा जाता है।

आधुनिक समय में उलमा की पश्चिम में शिक्षित वर्ग पर पकड़ नहीं रह गई। तुर्की में उन्हें समाप्त कर दिया गया है, पर शेष मुस्लिम विश्व के रूढ़िवादी समूहों पर उनकी पकड़ मज़बूत है। 20वीं सदी के इस्लाम के सामने उलमा और आधुनिक प्रगतिशील जनों का एकीकरण सबसे कठिन समस्याओं में से एक है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • पुस्तक- भारत ज्ञानकोश खंड-1 | पृष्ठ संख्या- 242| प्रकाशक- एन्साक्लोपीडिया ब्रिटैनिका, नई दिल्ली

बाहरी कड़ियाँ

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