इंदिरा सागर परियोजना

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इंदिरा सागर परियोजना मध्य प्रदेश की बहुउद्देशीय परियोजना है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले में मुंडी के निकट स्थित है। इस परियोजना की आधारशिला सन 1984 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा रखी गई थी।

परियोजना

यह परियोजना मध्य प्रदेश में 'सरदार सरोवर बाँध' के प्रतिप्रवाह में स्थित एक बहुउद्देशीय परियोजना है। इस परियोजना के अन्तर्गत 653 मीटर लम्बा कांक्रीट गुरूत्व बाँध निर्मित किया गया है। इस परियोजना के अन्तर्गत 160 क्यूमेक शीर्ष प्रवाह वाली 24865 कि.मी. लम्बी एक मुख्य नहर का निर्माण किया जा रहा है, जिससे 169 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में वार्षिक सिंचाई तथा खण्डवा ज़िले के ग्रामीण इलाके में 74 मिलियन घनमीटर[1] पेयजल की आपूर्ति की जाएगी।[2]

विद्युत उत्पादन

बाँध से 1,000 मेगावॉट[3] स्थापित विद्युत क्षमता वाले बाँध के दाँये तट पर निर्मित उपसतही विद्युत गृह के द्वारा जल विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। इस परियोजना से मध्य प्रदेश की ओंकारेश्वर एवं महेश्वर निचली परियोजनाओं द्वारा विद्युत उत्पादन के पश्चात् 'सरदार सरोवर परियोजना' के लि महेश्वर के माध्यम से 10015 मिलियन घन मीटर[4] जल नियंत्रित रूप में छोड़ा जाएगा। इस परियोजना की 1988-1989 के मूल्य स्तर पर अनुमानित लागत रुपये 1993.67 क़रोड़ थी, जिसके लिए योजना आयोग द्वारा सितम्बर, 1989 में निवेश स्वीकृत प्रदान की गई थी। मध्य प्रदेश शासन ने परियोजना की संशोधित प्रशासकीय स्वीकृति रुपये 2167.67 क़रोड़ प्रदान की है, जिसमें परियोजना क्षेत्र के लिए किए जाने वाले पर्यावरण सुरक्षा उपायों की लागत भी शामिल है।

समझौता

16 मई, 2000 को मध्य प्रदेश सरकार एवं 'राष्ट्रीय जलविद्युत विकास निगम' के मध्य एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके अनुसार मध्य प्रदेश सरकार एवं राष्ट्रीय जलविद्युत विकास निगम ने इंदिरा सागर एवं ओंकारेश्वर परियोजना के निर्माण कार्यों को उनके बीच बने एक संयुक्त उपक्रम के द्वारा पूर्ण कराने का निर्णय लिया। तदनुसार इंदिरा सागर परियोजना एवं ओंकारेश्वर परियोजना के बाँध युनिट-I एवं विद्युत गृह युनिट-II के अन्तर्गत के कार्यों को पूर्ण कर उनका प्रबन्ध करने के लिए कम्पनी अधिनियम-1956 के अन्तर्गत 'नर्मदा जल विद्युत विकास निगम' का गठन किया गया। इस संयुक्त उपक्रम में राष्ट्रीय जल विद्युत विकास निगम की बड़ी शेयर पूंजी 51 प्रतिशत रखी गई। नर्मदा जलविद्युत विकास निगम ने इंदिरा सागर एवं ओंकारेश्वर परियोजनाओं की यूनिट-I एवं यूनिट-III के कार्यों को नवम्बर, 2000 में अपने अधीन ले लिया था। मध्य प्रदेश सरकार इन दोनों परियोजनाओं के सिंचाई नहर तंत्र (यूनिट-II) के लागत तथा यूनिट-I पर सिंचाई मद को भारित होने वाली राशि का व्यय करेगी।</ref name="aa"/>


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 006 मिलियन एकड़ फीट
  2. इंदिरा सागर परियोजना (हिन्दी) नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण। अभिगमन तिथि: 14 नवम्बर, 2014।
  3. 125 मेगावॉट प्रति यूनिट क्षमता की 8 यूनिटें
  4. 812 मिलियन एकड़ फीट

बाहरी कड़ियाँ

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