आलारकालाम
आलारकालाम गृहत्याग करने के बाद सत्य की खोज में घूमते हुए बोधिसत्व सिद्धार्थ गौतम विख्यात योगी आलारकालाम के आश्रम में पहुँचे। आलारकालाम रूपावचर भूमि से ऊपर उठ अपने समकालीन योगी उद्दक रामपुत्त की भांति अरूपावचर भूमि की समापत्ति प्राप्त कर विहार करते थे। उस काल वह वैशाली में विराज रहे थे। सिद्धार्थ गौतम ने उस योगप्रक्रिया में शीघ्र ही सिद्धिलाभ कर लिया और उसके ऊपर की बातें जाननी चाहीं। जब वह और कुद न बता सके तब सिद्धार्थ ने उनका साथ छोड़ दिया। बुद्धत्व लाभ करने के बाद भगवान् बुद्ध ने सर्वप्रथम उद्दक रामपुत्त और आलारकालाम को उपदेश देने का संकल्प किया, किंतु तब वे जीवित न थे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 446 |
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