आत्म विश्वास (2) -शिवदीन राम जोशी

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तीर्थ से तिरे हैं केते व्रत से तिरे हैं,
            तप से तिरे हैं संत आत्मा महान् से।
केते तिरे हैं योग यज्ञ के प्रताप प्रभु,
            केते तिरे हैं मानव उर ज्ञान से।
केते तिरे हैं दया दान धर्म कर-कर के,
            केते तिरे हैं सत्य राम नाम ध्यान से।
एते करमों में मो सों कोई कर्म बन्यो नाय,
            शिवदीन तो तरेगा साधू आपकी जबान से।
   

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