अरकट

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अरकट (आर्काडु) तमिलनाडु के एक नगर और दो जिलों का नाम है। इन जिलों में से एक उत्तर अरकट और एक दक्षिण अरकट कहलाता है। अरकट नगर उत्तर अरकट का प्रधान नगर है। अंग्रेजों की विजय के पहले यह नगर बहुत समृद्धिशाली था, परंतु अब यहाँ कुछ मसजिदों, मकबरों और किलों के खँडहर ही रह गए हैं। क्लाइव का नाम अरकट की विजय और रक्षा से हुआ। 18वीं शताब्दी में कर्नाटक की गद्दी के लिए मुहम्मद अली और फ्रांसीसियों की सहायता से चाँदा साहब अंग्रेजों से लड़ रहे थे। चाँदा साहब को परेशान करने के लिए क्लाइव ने अरकट पर चढाई कर दी और सफलता से उसे जीत लिया। तब चाँदा साहब को 10,000 सिपाहियों की सेना अरकट भेजनी पड़ी और इस प्रकार त्रिचनापल्ली में घिरे हुए अंग्रेजों की विपत्ति कम हुई।

अरकट फिर क्रमानुसार फ्रांसीसियों, अंग्रेजों और हैदरअली के हाथ में गया, परंतु अंत में 1801 में अंग्रेजों के अधीन हो गया। तब से भारत की स्वतंत्रता तक वह ब्रिटिश अधिकार में ही रहा। उत्तर अरकट जिले के उत्तर में चित्तूर, पूर्व में चिंगलपट, दक्षिणमें दक्षिण अरकट तथा सलेम और पश्चिम में मैसूर राज्य है। इसका क्षेत्रफल 12,265वर्ग कि.मी. है। भूमि अधिकतर सपाट है, परंतु पश्चिम की ओर पहाड़ी है। इस भाग की जलवायु शीतल है। समुद्रतल से इधर की ऊँचाई लगभग 2,000 फुट है। अधिक भागों में भूमि पथरीली है और खेती बारी नहीं हो पाती, परंतु घाटियाँ बहुत उपजाऊ हैं। वेलोर इस जिले का मुख्य नगर है और तिरूपति प्रसिद्ध तीर्थस्थान है।

दक्षिण अरकट के उत्तर में उत्तर अरकट और चेंगलपट्टु हैं, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पांडीचेरी जिला, दक्षिण में तंजोर तथा त्रिचनापली जिले ओर पश्चिम में सलेम जिला। क्षेत्रफल 10,898 वर्ग कि.मी. है। समुद्र की ओर भूमि रेतीली और नीची है, परंतु पश्चिम की ओर देश पहाड़ी है और कहीं कहीं ऊँचाई 5,000 फुट तक पहुँच जाती है। प्रधान नदी कोलरून है, तीन अन्य छोटी नदियाँ भी हैं। इस जिले में कड्डालोर एक छोटा बंदरगाह है। दोनों जिलों में चावल, ज्वार आदि और मूँगफली की खेती होती है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 215-16 |

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