अपराजित

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Disamb2.jpg अपराजित एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अपराजित (बहुविकल्पी)

अपराजित (878-897 ई.) ने नृपत्तुंग वर्मन को अपदस्थ करके पल्लव वंश का राज्याधिकार प्राप्त किया।

  • उसने पल्लव वंश के अन्तिम शासक के रूप में शासन किया।
  • अपराजित काँची का अन्तिम पल्लव राजा था।
  • उसके समय में चोल शासक आदित्य प्रथम ने 'तोंडमंडलम्' पर अधिकार कर लिया।
  • इस प्रकार दक्षिण भारत में एक नवीन शक्ति के रूप में चोलों का उदय हुआ।
  • अपराजित ने विरुक्तनि में 'वीरट्टानेश्वर मंदिर' को निर्मित करवाया।
  • अपराजित के बाद नन्दि वर्मन तृतीय, नन्दि वर्मन चतुर्थ, कम्प वर्मन आदि ने कुछ समय तक पल्लव शक्ति को बचाने का प्रयास किया, पर असफल रहे।
  • उसने नवीं शताब्दी ई. के उत्तरार्ध में राज्य किया।
  • 862-63 ई. में अपराजित ने पांड्य राजा वरगुण वर्मा को श्री पुरम्बिया के युद्ध में पराजित किया था, लेकिन बाद में नवीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में वह स्वयं चोल राजा आदित्य प्रथम (880-907 ई.) से पराजित हुआ और मारा गया।
  • अपराजित की मृत्यु के बाद पल्लव राजवंश का अन्त हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख