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'''स्वामी विश्वेशतीर्थ''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Swami Vishweshateertha'',  जन्म- [[27 अप्रॅल]], [[1931]]; मृत्यु- [[29 दिसम्बर]], [[2019]]) [[हिन्दू]] [[संत]] और पेजावर मठ के प्रमुख थे।
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'''स्वामी विश्वेशतीर्थ''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Swami Vishweshateertha'',  जन्म- [[27 अप्रॅल]], [[1931]]; मृत्यु- [[29 दिसम्बर]], [[2019]]) [[हिन्दू]] [[संत]] और पेजावर मठ के प्रमुख थे। विश्वेश तीर्थ स्वामी पेजावर मठ के 32वें महंत थे। उडुपी के आठ मठों में से एक प्रमुख मठ पेजावर मठ भी है।
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*विश्वेश तीर्थ स्वामी का जन्म [[27 अप्रैल]], [[1931]] को [[कर्नाटक]] के रामाकुंज में एक शिवाली मध्व ब्राह्मण [[परिवार]] में हुआ था। माता-पिता ने इनका नाम वेंकटरामा रखा था, लेकिन 8 साल की उम्र में संन्यास लेने के बाद इनका नाम विश्वेश तीर्थ स्वामी पड़ गया। श्री भंडारकेरी मठ और पलिमारु मठ के गुरु श्री विद्यामान्या तीर्थ से इन्होंने शिक्षा हासिल की थी। उमा भारती से लेकर योगी आदित्यनाथ तक इन्हें एक महान संत मानते थे।  
  
 
*स्वामी विश्वेशतीर्थ को मरणोपरांत '[[पद्म विभूषण]]' ([[2020]]) से सम्मानित किया गया है।
 
*स्वामी विश्वेशतीर्थ को मरणोपरांत '[[पद्म विभूषण]]' ([[2020]]) से सम्मानित किया गया है।

05:35, 29 दिसम्बर 2023 का अवतरण

स्वामी विश्वेशतीर्थ

स्वामी विश्वेशतीर्थ (अंग्रेज़ी: Swami Vishweshateertha, जन्म- 27 अप्रॅल, 1931; मृत्यु- 29 दिसम्बर, 2019) हिन्दू संत और पेजावर मठ के प्रमुख थे। विश्वेश तीर्थ स्वामी पेजावर मठ के 32वें महंत थे। उडुपी के आठ मठों में से एक प्रमुख मठ पेजावर मठ भी है।

  • विश्वेश तीर्थ स्वामी का जन्म 27 अप्रैल, 1931 को कर्नाटक के रामाकुंज में एक शिवाली मध्व ब्राह्मण परिवार में हुआ था। माता-पिता ने इनका नाम वेंकटरामा रखा था, लेकिन 8 साल की उम्र में संन्यास लेने के बाद इनका नाम विश्वेश तीर्थ स्वामी पड़ गया। श्री भंडारकेरी मठ और पलिमारु मठ के गुरु श्री विद्यामान्या तीर्थ से इन्होंने शिक्षा हासिल की थी। उमा भारती से लेकर योगी आदित्यनाथ तक इन्हें एक महान संत मानते थे।
  • स्वामी विश्वेशतीर्थ को मरणोपरांत 'पद्म विभूषण' (2020) से सम्मानित किया गया है।
  • वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अध्यात्मिक गुरु माने जाते थे।
  • विश्वेश स्वामी जी मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता उमा भारती के गुरू रहे। उमा ने कहा कि उनके गुरु एक बड़े कर्मयोगी थे और उन्होंने ही मुझे कर्मयोगी बनने की दीक्षा दी। उमा ने 1992 में स्वामी जी से संन्यास दीक्षा ली थी।


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