रूपक अलंकार

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जिस जगह उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाए, उसे रूपक अलंकार कहा जाता है, यानी उपमेय और उपमान में कोई अन्तर न दिखाई पड़े।[1]

उदाहरण

बीती विभावरी जाग री। अम्बर-पनघट में डुबों रही, तारा-घट उषा नागरी।

यहाँ अम्बर में पनघट, तारा में घट तथा उषा में नागरी का अभेद कथन है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अलंकार (हिन्दी) (एच टी एम एल) हिन्दीकुंज। अभिगमन तिथि: 4 मई, 2011