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*वहीं आइन-ए-अकबरी के अनुसार अकबर अपने दैनिक जीवन में गंगाजल का प्रयोग करता था। हरिद्वार से प्रतिदिन सीलबंद घडों में गंगा जल ऊँटो से दिल्ली-आगरा भी ले जाया जाता था। आज भी हरिद्वार आदि गंगा के क्षेत्रो में अस्थि विसर्जन करने की परंपरा है। यह सब ऐतहासिक तथ्य गंगाजल के आध्यात्मिक महात्म्य को प्रमाणित करते है।
 
*वहीं आइन-ए-अकबरी के अनुसार अकबर अपने दैनिक जीवन में गंगाजल का प्रयोग करता था। हरिद्वार से प्रतिदिन सीलबंद घडों में गंगा जल ऊँटो से दिल्ली-आगरा भी ले जाया जाता था। आज भी हरिद्वार आदि गंगा के क्षेत्रो में अस्थि विसर्जन करने की परंपरा है। यह सब ऐतहासिक तथ्य गंगाजल के आध्यात्मिक महात्म्य को प्रमाणित करते है।
  
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==गंगाजल क्यों ख़राब नहीं होता==
 
;गंगाजल काफ़ी दिनों तक रखने के बावजूद ख़राब नहीं होता है, जबकि साधारण जल कुछ दिनों में ख़राब हो जाता है, क्यों ?
 
;गंगाजल काफ़ी दिनों तक रखने के बावजूद ख़राब नहीं होता है, जबकि साधारण जल कुछ दिनों में ख़राब हो जाता है, क्यों ?
 
*हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगा (भागीरथी), हरिद्वार (देवप्रयाग) में अलकनंदा से मिलती है। यहाँ तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुलती जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो पानी को सड़ने नहीं देती। हर नदी के जल की अपनी जैविक संरचना होती है, जिसमें ख़ास तरह के घुले हुए पदार्थ रहते हैं जो कुछ क़िस्म के बैक्टीरिया को पनपने देते हैं कुछ को नहीं। बैक्टीरिया दोनों तरह के होते हैं, वो जो सड़ाते हैं और जो नहीं सड़ाते। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि गंगा के पानी में ऐसे बैक्टीरिया हैं जो सड़ाने वाले कीटाणुओं को पनपने नहीं देते, इसलिए पानी लंबे समय तक ख़राब नहीं होता।
 
*हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगा (भागीरथी), हरिद्वार (देवप्रयाग) में अलकनंदा से मिलती है। यहाँ तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुलती जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो पानी को सड़ने नहीं देती। हर नदी के जल की अपनी जैविक संरचना होती है, जिसमें ख़ास तरह के घुले हुए पदार्थ रहते हैं जो कुछ क़िस्म के बैक्टीरिया को पनपने देते हैं कुछ को नहीं। बैक्टीरिया दोनों तरह के होते हैं, वो जो सड़ाते हैं और जो नहीं सड़ाते। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि गंगा के पानी में ऐसे बैक्टीरिया हैं जो सड़ाने वाले कीटाणुओं को पनपने नहीं देते, इसलिए पानी लंबे समय तक ख़राब नहीं होता।
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*वैज्ञानिक बताते हैं कि हरिद्वार में गोमुख-गंगोत्री से आ रही गंगा के जल की गुणवत्ता पर इसलिए कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि यह हिमालय पर्वत पर उगी हुई अनेकों जीवनदायनी उपयोगी जड़ी-बूटियों का स्पर्श करता हुआ आता है। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगाजल खराब नहीं होने के कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। एक यह कि गंगाजल में बैट्रिया फोस नामक एक बैक्टीरिया पाया गया है जो पानी के अंदर रासायनिक क्रियाओं से उत्पन्न होनेवाले अवांछनीय पदार्थों को खाता रहता है। इससे जल की शुद्धता बनी रहती है। दूसरा गंगा के पानी में गंधक (सल्फर) की प्रचुर मात्रा मौजूद रहती है इसलिए भी यह खराब नहीं होता। इसके अतिरिक्त कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी गंगाजल में होती रहती हैं, जिससे इसमें कभी कीड़े पैदा नहीं होते। यही कारण है कि यह पानी सदा पीने योग्य माना गया है। जैसे-जैसे गंगा हरिद्वार से आगे अन्य शहरों की ओर बढ़ती जाती है शहरों, नगर निगमों और खेती-बाड़ी का कूड़ा-करकट तथा औद्योगिक रसायनों का मिश्रण गंगा में डाल दिया जाता है। यही वजह है कि कानपुर, वाराणसी और इलाहाबाद का गंगाजल आज पीने योग्य नहीं रह गया है।
 
*वैज्ञानिक बताते हैं कि हरिद्वार में गोमुख-गंगोत्री से आ रही गंगा के जल की गुणवत्ता पर इसलिए कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि यह हिमालय पर्वत पर उगी हुई अनेकों जीवनदायनी उपयोगी जड़ी-बूटियों का स्पर्श करता हुआ आता है। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगाजल खराब नहीं होने के कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। एक यह कि गंगाजल में बैट्रिया फोस नामक एक बैक्टीरिया पाया गया है जो पानी के अंदर रासायनिक क्रियाओं से उत्पन्न होनेवाले अवांछनीय पदार्थों को खाता रहता है। इससे जल की शुद्धता बनी रहती है। दूसरा गंगा के पानी में गंधक (सल्फर) की प्रचुर मात्रा मौजूद रहती है इसलिए भी यह खराब नहीं होता। इसके अतिरिक्त कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी गंगाजल में होती रहती हैं, जिससे इसमें कभी कीड़े पैदा नहीं होते। यही कारण है कि यह पानी सदा पीने योग्य माना गया है। जैसे-जैसे गंगा हरिद्वार से आगे अन्य शहरों की ओर बढ़ती जाती है शहरों, नगर निगमों और खेती-बाड़ी का कूड़ा-करकट तथा औद्योगिक रसायनों का मिश्रण गंगा में डाल दिया जाता है। यही वजह है कि कानपुर, वाराणसी और इलाहाबाद का गंगाजल आज पीने योग्य नहीं रह गया है।
  
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==गंगाजल का महत्व जीवन में==
 
;आइये जरा गंगा जल के महत्व को अपने जीवन में भी उतारे
 
;आइये जरा गंगा जल के महत्व को अपने जीवन में भी उतारे
 
*यदि कर्ज नहीं उतर रहा, व्यवसाय चलते चलते अचानक रुक गया है। घर से बिमारी पीछा नहीं छोड़ रही है या मन हमेशा आशंकित रहता है। घर में या ऑफिस में बिना किसी कारण के तनाव की स्थिति रहती है। घर की बरकत बिलकुल खत्म हो रही हो तो गंगा जल को प्राथमिकता दे। अपने समस्त समस्याओं का समाधान करे। किसी भी सोमवार या वृहस्पतिवार को गंगाजल किसी पीतल या चांदी के बर्तन में पूरा मुंह तक भर कर ढक्कन अच्छी तरह से बंद कर के घर उत्तर-पूर्व अर्थात ईशान कोण में कमरे के भी ईशान कोण में रख दे। एक या दो महीने में आप देखेंगे कि गंगा जल का स्तर कम हो रहा है अर्थार घट रहा है, तो उसी समय इसे फिर से भर दे। ध्यान रखे कि इस गंगाजल का किसी अन्य कार्य में प्रयोग ना करें। जब तक गंगा जल घर या भवन में रखा रहेगा तब तक घर में सुख सम्पदा का वास रहेगा। इस कारण से प्रत्येक घर में गंगाजल का इस प्रकार का पात्र बहुत उपयोगी होता है।
 
*यदि कर्ज नहीं उतर रहा, व्यवसाय चलते चलते अचानक रुक गया है। घर से बिमारी पीछा नहीं छोड़ रही है या मन हमेशा आशंकित रहता है। घर में या ऑफिस में बिना किसी कारण के तनाव की स्थिति रहती है। घर की बरकत बिलकुल खत्म हो रही हो तो गंगा जल को प्राथमिकता दे। अपने समस्त समस्याओं का समाधान करे। किसी भी सोमवार या वृहस्पतिवार को गंगाजल किसी पीतल या चांदी के बर्तन में पूरा मुंह तक भर कर ढक्कन अच्छी तरह से बंद कर के घर उत्तर-पूर्व अर्थात ईशान कोण में कमरे के भी ईशान कोण में रख दे। एक या दो महीने में आप देखेंगे कि गंगा जल का स्तर कम हो रहा है अर्थार घट रहा है, तो उसी समय इसे फिर से भर दे। ध्यान रखे कि इस गंगाजल का किसी अन्य कार्य में प्रयोग ना करें। जब तक गंगा जल घर या भवन में रखा रहेगा तब तक घर में सुख सम्पदा का वास रहेगा। इस कारण से प्रत्येक घर में गंगाजल का इस प्रकार का पात्र बहुत उपयोगी होता है।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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16:27, 10 अप्रैल 2011 का अवतरण

गंगाजल की महिमा

  • गंगाजल की महिमा का गुणगान किसी से छिपा नहीं है। हिंदू धर्म ही नहीं बल्कि दुनिया के सभी धर्मो में माता गंगा का महत्वपूर्ण स्थान है क्यों न हो चमत्कार को नमस्कार है। गंगा की महिमा युगों युगों से चली आ रही है। आज भी हरिद्वार के गंगाजल को लेने के लिए देश दुनिया से श्रद्धालु पहुँचते है। सर्वमान्य तथ्य है कि युगों पहले भागीरथ जी गंगा की धारा को पृथ्वी पर लाये थे भागीरथ जी गंगा की धरा को हिमालय के जिस मार्ग से लेकर मैदान में आए वह मार्ग जीवनदायनी दिव्य औषधियों व वनस्पतियों से भरा हुआ है। इस कारण भी गंगा जल को अमृततुल्य माना जाता है। धर्म नगरी हरिद्वार में गंगा का अपने विशेष आध्यात्मिक महात्म्य है। हरिद्वार, प्रयाग, अवन्तिका तथा नासिक इन चार स्थानों पर महाकुम्भ की परंपरा भी सदिओं पुरानी है। आज भी इन चार स्थानों में महाकुम्भ का विराट स्वरूप दिखाई देता है। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है। नारदीय पुराण में तीर्थयात्रा की विधि का उल्लेख करते हुए प्रयाग, कुरुक्षेत्र तथा हरिद्वार तीर्थ का विशेष महत्व बताया गया है।
  • वहीं आइन-ए-अकबरी के अनुसार अकबर अपने दैनिक जीवन में गंगाजल का प्रयोग करता था। हरिद्वार से प्रतिदिन सीलबंद घडों में गंगा जल ऊँटो से दिल्ली-आगरा भी ले जाया जाता था। आज भी हरिद्वार आदि गंगा के क्षेत्रो में अस्थि विसर्जन करने की परंपरा है। यह सब ऐतहासिक तथ्य गंगाजल के आध्यात्मिक महात्म्य को प्रमाणित करते है।

गंगाजल क्यों ख़राब नहीं होता

गंगाजल काफ़ी दिनों तक रखने के बावजूद ख़राब नहीं होता है, जबकि साधारण जल कुछ दिनों में ख़राब हो जाता है, क्यों ?
  • हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगा (भागीरथी), हरिद्वार (देवप्रयाग) में अलकनंदा से मिलती है। यहाँ तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुलती जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो पानी को सड़ने नहीं देती। हर नदी के जल की अपनी जैविक संरचना होती है, जिसमें ख़ास तरह के घुले हुए पदार्थ रहते हैं जो कुछ क़िस्म के बैक्टीरिया को पनपने देते हैं कुछ को नहीं। बैक्टीरिया दोनों तरह के होते हैं, वो जो सड़ाते हैं और जो नहीं सड़ाते। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि गंगा के पानी में ऐसे बैक्टीरिया हैं जो सड़ाने वाले कीटाणुओं को पनपने नहीं देते, इसलिए पानी लंबे समय तक ख़राब नहीं होता।
  • वैज्ञानिक बताते हैं कि हरिद्वार में गोमुख-गंगोत्री से आ रही गंगा के जल की गुणवत्ता पर इसलिए कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि यह हिमालय पर्वत पर उगी हुई अनेकों जीवनदायनी उपयोगी जड़ी-बूटियों का स्पर्श करता हुआ आता है। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगाजल खराब नहीं होने के कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। एक यह कि गंगाजल में बैट्रिया फोस नामक एक बैक्टीरिया पाया गया है जो पानी के अंदर रासायनिक क्रियाओं से उत्पन्न होनेवाले अवांछनीय पदार्थों को खाता रहता है। इससे जल की शुद्धता बनी रहती है। दूसरा गंगा के पानी में गंधक (सल्फर) की प्रचुर मात्रा मौजूद रहती है इसलिए भी यह खराब नहीं होता। इसके अतिरिक्त कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी गंगाजल में होती रहती हैं, जिससे इसमें कभी कीड़े पैदा नहीं होते। यही कारण है कि यह पानी सदा पीने योग्य माना गया है। जैसे-जैसे गंगा हरिद्वार से आगे अन्य शहरों की ओर बढ़ती जाती है शहरों, नगर निगमों और खेती-बाड़ी का कूड़ा-करकट तथा औद्योगिक रसायनों का मिश्रण गंगा में डाल दिया जाता है। यही वजह है कि कानपुर, वाराणसी और इलाहाबाद का गंगाजल आज पीने योग्य नहीं रह गया है।

गंगाजल का महत्व जीवन में

आइये जरा गंगा जल के महत्व को अपने जीवन में भी उतारे
  • यदि कर्ज नहीं उतर रहा, व्यवसाय चलते चलते अचानक रुक गया है। घर से बिमारी पीछा नहीं छोड़ रही है या मन हमेशा आशंकित रहता है। घर में या ऑफिस में बिना किसी कारण के तनाव की स्थिति रहती है। घर की बरकत बिलकुल खत्म हो रही हो तो गंगा जल को प्राथमिकता दे। अपने समस्त समस्याओं का समाधान करे। किसी भी सोमवार या वृहस्पतिवार को गंगाजल किसी पीतल या चांदी के बर्तन में पूरा मुंह तक भर कर ढक्कन अच्छी तरह से बंद कर के घर उत्तर-पूर्व अर्थात ईशान कोण में कमरे के भी ईशान कोण में रख दे। एक या दो महीने में आप देखेंगे कि गंगा जल का स्तर कम हो रहा है अर्थार घट रहा है, तो उसी समय इसे फिर से भर दे। ध्यान रखे कि इस गंगाजल का किसी अन्य कार्य में प्रयोग ना करें। जब तक गंगा जल घर या भवन में रखा रहेगा तब तक घर में सुख सम्पदा का वास रहेगा। इस कारण से प्रत्येक घर में गंगाजल का इस प्रकार का पात्र बहुत उपयोगी होता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ