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*पहलवी में अर्हिमन, [[पारसी धर्म]] में विरोधी या विनाशकारी आत्मा है।
 
 
*अंग्र मैन्यु की अनिवार्य प्रकृति उनके प्रमुख लक्षण द्रुज से अभिव्यक्त होती है, जो स्वयं लोभ, कोप और ईर्ष्या के रूप में अभिव्यक्त होती है।  
 
*अंग्र मैन्यु की अनिवार्य प्रकृति उनके प्रमुख लक्षण द्रुज से अभिव्यक्त होती है, जो स्वयं लोभ, कोप और ईर्ष्या के रूप में अभिव्यक्त होती है।  
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*[[पहलवी भाषा|पहलवी]] में अर्हिमन, [[पारसी धर्म]] में विरोधी या विनाशकारी [[आत्मा]] है।
 
*कोप या आइस्मा मानव जाति में रक्तपिपासा पैदा करता है।  
 
*कोप या आइस्मा मानव जाति में रक्तपिपासा पैदा करता है।  
 
*अर्हिमन और [[पृथ्वी]] के गर्भ से निकलने वाले उसके दानवों के झुंड अहुर मज्दा के प्रकाश तथा परोपकार की उत्पत्ति पर हमला करते हैं।  
 
*अर्हिमन और [[पृथ्वी]] के गर्भ से निकलने वाले उसके दानवों के झुंड अहुर मज्दा के प्रकाश तथा परोपकार की उत्पत्ति पर हमला करते हैं।  

06:40, 1 अक्टूबर 2011 का अवतरण

  • अंग्र मैन्यु की अनिवार्य प्रकृति उनके प्रमुख लक्षण द्रुज से अभिव्यक्त होती है, जो स्वयं लोभ, कोप और ईर्ष्या के रूप में अभिव्यक्त होती है।
  • पहलवी में अर्हिमन, पारसी धर्म में विरोधी या विनाशकारी आत्मा है।
  • कोप या आइस्मा मानव जाति में रक्तपिपासा पैदा करता है।
  • अर्हिमन और पृथ्वी के गर्भ से निकलने वाले उसके दानवों के झुंड अहुर मज्दा के प्रकाश तथा परोपकार की उत्पत्ति पर हमला करते हैं।
  • इस प्रकार, मनुष्य जाति सत्य के अनुयायी आशावान और मिथ्या के अनुयायी द्रेगवंत में विभक्त हो जाती है।
  • परिणाम के तौर पर होने वाली दुर्व्यवस्था और कष्टों के बाबजूद पारसियों का मानना है कि अहुर मज़्दा और उनकी फ़रिश्ताई ताकतें यानी स्पेंता तथा यज़ता अर्हिमन व उनके दल को परास्त कर देंगी।
  • अर्हिमन के दानव एक-दूसरे को खा जाएंगे तथा स्वयं अर्हिमन पृथ्वी के गर्भ में कैंद हो जाएंगे, जहाँ उनकी मृत्यु हो जाएगी।
  • इस युद्ध के बाद फ्राशोकेरेती या अस्तित्व का पुनर्स्थापन होगा।



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