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महबूबा मुफ़्ती (अंग्रेज़ी: Mehbooba Muhfti, जन्म- 22 मई, 1959, अखरण नोव्पोरा, अनन्तनाग ज़िला, जम्मू-कश्मीर) 4 अप्रैल, 2016 को जम्मू-कश्मीर के 13वें मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली। शपथ लेने के साथ ही पीडीपी के संस्थापक मुफ़्ती मोहम्मद सईद की पुत्री महबूबा जम्मू-कश्मीर में सरकार का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बन गई और भारत के किसी राज्य की दूसरी मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री बनीं। महबूबा मुफ़्ती 1996 से 1999 और 2002 से 2004 तक दो बार जम्मू कश्मीर विधानसभा सदस्य रही।

परिचय

महबूबा मुफ़्ती का जन्म वर्ष 1959, 22 मई को अखरण नोव्पोरा अनंतनाग ज़िले में हुआ था। इनके पिता मोहम्मद मुफ़्ती सैयद एवम माता गुलशन नज़ीर हैं। महबूबा मुफ़्ती की एक बहन रुबिया जो कि अगवाह हो जाने के कारण बहुत दिनों तक देश की खबरों का हिस्सा थी जब महबूबा मुफ़्ती के पिता गृहमंत्री थे। यह किडनैप आतंकवादियों ने वर्ष 1989 में हवाई जहाज़ को अपने कब्ज़े में लेकर किया था जिसमे कई यात्री थे जिनके बदले में कुख्यात आतंकियों को रिहा किया गया था। उन सभी यात्रियों में से एक रुबिया थी जो तात्कालिक गृहमंत्री मोहम्मद मुफ़्ती की बेटी थी। महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीर यूनिवर्सिटी से अपनी लॉ की डिग्री पूरी की। सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनने से पहले इन्होंने अपने पति से तलाक लिया जिनसे इन्हें दो बेटियाँ इल्तिज, इर्तिका हैं।

राजनैतिक सफ़र

नेता महबूबा मुफ़्ती ने 4 अप्रैल, 2016 को जम्मू-कश्मीर के 13वें मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली। शपथ लेने के साथ ही पीडीपी के संस्थापक मुफ़्ती मोहम्मद सईद की पुत्री महबूबा जम्मू-कश्मीर में सरकार का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बन गई और भारत के किसी राज्य की दूसरी मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री बनीं। महबूबा मुफ़्ती 1996 से 1999 तक कांग्रेस विधायक दल जम्मू-कश्मीर विधान सभा की जानी मानी नेता रही। 1996 से 1999 और 2002 से 2004 तक दो बार जम्मू कश्मीर विधानसभा सदस्य रही। जब महबूबा मुफ़्ती ने कांग्रेस की सीट के लिए जम्मू-कश्मीर के बिजबेहरा विधानसभा में अपनी जीत सुनिश्चित की। इसी कारण असेंबली में पांच वर्ष तक फारुक अब्दुल्ला के समय यह विपक्ष का नेतृत्व करती नजर आई। महबूबा मुफ़्ती पहली महिला हैं जो जम्मूकश्मीर से एक सक्रीय राजनीति का हिस्सा हैं और साथ ही एक बहुप्रसिद्ध चेहरा भी हैं। इनकी राजनितिक शुरुवात कांग्रेस पार्टी से हुई लेकिन आपसी मतभेद के कारण इनके पिता ने कांग्रेस से अलग होने का फैसला किया और जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया। तब वर्ष 1999 में इन्होंने कांग्रेस से अपनी विधानसभा सीट के लिए इस्तीफा दिया और जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी की उपाध्यक्ष बनाई गई। वर्ष 1999 में इन्होंने श्रीनगर से अपना संसदीय चुनाव उम्र अब्दुला के खिलाफ लड़ा लेकिन इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 2002 के राज्यसभा चुनाव में पहलगाम सीट पर अहमद मीर के खिलाफ दक्षिण कश्मीर में अपनी जीत दर्ज की। 2004 में 14वी लोकसभा के लिये चुनी गई, 2009 में जम्मू कश्मीर पीपल डोमेक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष चुनी गई। महबूबा मुफ़्ती ने 2014 में हुए चुनावों में अगले पांच साल के कार्यकाल के लिए अनंतनाग-पुलवामा सीट जीती जिसमे उन्होंने 44,735 मतों के अंतर के साथ नेशनल कांफ्रेंस के मिर्जा महबूब बेग को हराया। महबूबा मुफ़्ती को 1,42,237 और बेग 97,502 वोट मिले थे। जम्मू एवं कश्मीर राजनीतिक मौसम में तब बदलाव हुआ जब उमर अब्दुल्ला सरकार द्वारा राज्य में बाढ़ की वजह से हाल ही में तबाही के कथित कुप्रबंधन की पृष्ठभूमि तैयार हुई जिसका मुफ़्ती मोहम्मद सईद की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने जमकर फायदा उठाया और आगामी चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन में बंधकर अपनी पार्टी को जीत दिलाई और मुख्यमंत्री पद हासिल किया लेकिन अब मुफ़्ती मोहम्मद सईद की मृत्यु के बाद राज्य की कमान महबूबा मुफ़्ती के हाथों में सौंपी जायेगी। पार्टी ने 2014 के आम चुनावों में छह लोकसभा सीटों में से तीन में जीत दर्ज की थी। 7 जनवरी, 2016 को रियासत के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद का बीमारी की वजह से निधन हो गया था। सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ़्ती ने पीडीपी की बागडोर संभाली और भाजपा के साथ गठबंधन कर रियासत में सरकार बनाई। महबूबा मुफ़्ती अपनी कट्टर राजनैतिक व्यवहार के लिये जानी जाती हैं।


धर्म मुस्लिम */4/* माता पिता मोहम्मद मुफ़्ती सैयद – गुलशन नज़ीर */5/* संतान इल्तिज, इर्तिका */6/* शादी स्टेटस तलाक */7/* काम पॉलिटिक्स, सामाजिक कार्यकर्ता */8/* पद PDP अध्यक्ष, लोकसभा सदस्य *महबूबा मुफ़्ती राजनैतिक व्यवहार :*/