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*[[लंका]] की स्वर्णपुरी, [[द्वारिका|द्वारिकाधाम]], भगवान जगन्नाथ का श्रीविग्रह इन्होंने ही निर्मित किया।  
 
*[[लंका]] की स्वर्णपुरी, [[द्वारिका|द्वारिकाधाम]], भगवान जगन्नाथ का श्रीविग्रह इन्होंने ही निर्मित किया।  
 
*इनका एक नाम त्वष्टा है।  
 
*इनका एक नाम त्वष्टा है।  
*[[सूर्य]] पत्नी [[संज्ञा]] इन्हीं की पुत्री हैं। इनके पुत्र विश्वरूप और वृत्र हुए।  
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*[[सूर्य देवता|सूर्य]] पत्नी [[संज्ञा]] इन्हीं की पुत्री हैं। इनके पुत्र विश्वरूप और वृत्र हुए।  
 
*सर्वमेध के द्वारा इन्होंने जगत की सृष्टि की और आत्मबलिदान करके निर्माण कार्य पूर्ण किया।  
 
*सर्वमेध के द्वारा इन्होंने जगत की सृष्टि की और आत्मबलिदान करके निर्माण कार्य पूर्ण किया।  
 
*समस्त शिल्प के ये अधिदेवता हैं।  
 
*समस्त शिल्प के ये अधिदेवता हैं।  

15:36, 26 अप्रैल 2010 का अवतरण

विश्वकर्मा / Vishvakarma

  • प्रभास नामक वसु की पत्नी महासती योगासिद्धा इन देवशिल्पी की माता हैं।
  • देवताओं के समस्त विमानादि तथा अस्त्र शस्त्र इन्हीं के द्वारा निर्मित हैं।
  • लंका की स्वर्णपुरी, द्वारिकाधाम, भगवान जगन्नाथ का श्रीविग्रह इन्होंने ही निर्मित किया।
  • इनका एक नाम त्वष्टा है।
  • सूर्य पत्नी संज्ञा इन्हीं की पुत्री हैं। इनके पुत्र विश्वरूप और वृत्र हुए।
  • सर्वमेध के द्वारा इन्होंने जगत की सृष्टि की और आत्मबलिदान करके निर्माण कार्य पूर्ण किया।
  • समस्त शिल्प के ये अधिदेवता हैं।
  • भगवान श्रीराम के लिये सेतुनिर्माण करने वाले वानरराज नल इन्हीं के अंश से उत्पन्न हुए थे।
  • हिन्दू-शिल्पी अपने कर्म की उन्नति के लिये भाद्रपद की संक्रान्ति को इनकी आराधना करते हैं। उस दिन शिल्प का कोई उपकरण व्यवहार में नहीं आता।
  • बंगाल में यह पूजा विशेष प्रचलित है।