"परमार्दि" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | '''परमार्दि''' अथवा ' | + | '''परमार्दि''' अथवा 'परमालदेव' [[जेजाकभुक्ति]] का अंतिम [[चन्देल वंश|चन्देल]] शासक था। इसे एक महत्त्वपूर्ण स्वतंत्र राजा कहा जा सकता है। वह पाँच वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठा था और 1182 ई. तक शासन करता रहा, जब तक कि [[चौहान वंश|चौहान]] राजा [[पृथ्वीराज चौहान|पृथ्वीराज]] से युद्ध में पराजित नहीं हो गया। |
*पृथ्वीराज चौहान से हुए युद्ध में परमार्दि की राजधानी ध्वस्त कर दी गई। | *पृथ्वीराज चौहान से हुए युद्ध में परमार्दि की राजधानी ध्वस्त कर दी गई। |
10:51, 23 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
परमार्दि अथवा 'परमालदेव' जेजाकभुक्ति का अंतिम चन्देल शासक था। इसे एक महत्त्वपूर्ण स्वतंत्र राजा कहा जा सकता है। वह पाँच वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठा था और 1182 ई. तक शासन करता रहा, जब तक कि चौहान राजा पृथ्वीराज से युद्ध में पराजित नहीं हो गया।
- पृथ्वीराज चौहान से हुए युद्ध में परमार्दि की राजधानी ध्वस्त कर दी गई।
- युद्ध में मिली शिकस्त के बाद ही दिल्ली के सुल्तान क़ुतुबुद्दीन ऐबक के नेतृत्व में मुस्लिमों ने परमार्दि के राज्य पर आक्रमण कर दिया और कालिंजर को घेर लिया।
- परमार्दि को कालिंजर का क़िला शत्रुओं के हाथों में सौंप देना पड़ा और सम्भवत: युद्ध भूमि में वह मारा गया।
- चन्देल वंश का उत्कर्ष परमार्दि की मृत्यु के साथ ही हो गया।
|
|
|
|
|