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|हिन्दी=फुर-फुर ध्वनि, पक्षियों के फड़फड़ाने से उत्पन्न धवनि, भय या ठंड आदि के कारण उत्पन्न कँपकँपी, थरथराहट, सींक का टुकड़ा या छोटी तीली जिसके सिर पर ज़रा-सी रुई लपेटी गयी हो और उसे तेल या ओषधि आदि में डुबाकर काम में लिया जाए।   
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|हिन्दी= सींक का टुकड़ा या छोटी तीली जिसके सिर पर ज़रा-सी रुई लपेटी गयी हो और उसे तेल या ओषधि आदि में डुबाकर काम में लिया जाए; फुर-फुर ध्वनि, पक्षियों के फड़फड़ाने से उत्पन्न ध्वनि, भय या ठंड आदि के कारण उत्पन्न कँपकँपी, थरथराहट। 
 
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परसि '''फुरहरी''' लै फिरति, विहँसति धँसति न नीर!<ref>{{cite web |url=http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/P/PratibhaSaksena/Privacy_kahan.htm |title=प्राइवेसी कहाँ! |accessmonthday=31 जनवरी |accessyear=2011 |last=सक्सेना |first=डॉ. प्रतिभा |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=साहित्य कुञ्ज |language=हिन्दी}}</ref></poem>
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परसि '''फुरहरी''' लै फिरति, विहँसति धँसति न नीर!<ref>{{cite web |url=http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/P/PratibhaSaksena/Privacy_kahan.htm |title=प्राइवेसी कहाँ! |accessmonthday=31 जनवरी |accessyear=2011 |last=सक्सेना |first=डॉ. प्रतिभा |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=साहित्य कुञ्ज |language=[[हिन्दी]]}}</ref></poem>
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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07:25, 17 जून 2011 के समय का अवतरण

शब्द संदर्भ
हिन्दी सींक का टुकड़ा या छोटी तीली जिसके सिर पर ज़रा-सी रुई लपेटी गयी हो और उसे तेल या ओषधि आदि में डुबाकर काम में लिया जाए; फुर-फुर ध्वनि, पक्षियों के फड़फड़ाने से उत्पन्न ध्वनि, भय या ठंड आदि के कारण उत्पन्न कँपकँपी, थरथराहट।
-व्याकरण    स्त्रीलिंग
-उदाहरण  
-विशेष   

नहिं नहाय नहिं जाय घर, चित चिहट्‍यौ उहि तीर,
परसि फुरहरी लै फिरति, विहँसति धँसति न नीर![1]

-विलोम   
-पर्यायवाची    स्फुरण, ठिठुरन, भय कंपन, सिहरन, थरथरी, थरार्हट, दहल आदि।
संस्कृत
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द फुनगी
संबंधित लेख

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सक्सेना, डॉ. प्रतिभा। प्राइवेसी कहाँ! (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) साहित्य कुञ्ज। अभिगमन तिथि: 31 जनवरी, 2011।