"दृष्टि" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{शब्द संदर्भ लघु
 
{{शब्द संदर्भ लघु
|हिन्दी=देखने के लिए खुली हुई अथवा देखने में प्रवृत्त [[आँखें]], मन की आँख से देखना।
+
|हिन्दी=देखने के लिए खुली हुई अथवा देखने में प्रवृत्त [[आँख|आँखें]], मन की आँख से देखना।
 
|व्याकरण=स्त्रीलिंग- आँखों से देखने की शक्ति, धातु
 
|व्याकरण=स्त्रीलिंग- आँखों से देखने की शक्ति, धातु
 
|उदाहरण=जहाँ तक दृष्टि जाती थी, वहाँ तक [[जल]] ही जल दिखाई देता था।
 
|उदाहरण=जहाँ तक दृष्टि जाती थी, वहाँ तक [[जल]] ही जल दिखाई देता था।

10:04, 31 जनवरी 2011 का अवतरण

शब्द संदर्भ
हिन्दी देखने के लिए खुली हुई अथवा देखने में प्रवृत्त आँखें, मन की आँख से देखना।
-व्याकरण    स्त्रीलिंग- आँखों से देखने की शक्ति, धातु
-उदाहरण   जहाँ तक दृष्टि जाती थी, वहाँ तक जल ही जल दिखाई देता था।
-विशेष    उक्त के अतिरिक्त मंगल की अपने से चौथे और आठवें भावों पर, बृहस्पति की पाँचवें और नवें भावों पर, तथा शनि की तीसरे और दसवें भावों पर पूर्ण दृष्टि होती है।
-विलोम   
-पर्यायवाची    नेत्र, आँख, जोह,ज्योति, दीठि, दीदा, दृश्य अनुभूति, क्षमता, नज़र, निगाह, बीनाई, वीक्षा, सूझ।
संस्कृत दृश+क्तिन
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द
संबंधित लेख

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश